गुरु की कृपा सभी शिष्यों पर समान होती है, लेकिन कुछ शिष्य विशेष रूप से प्रकाशित होते हैं। यह गुरु की अनुकंपा का परिणाम है, जो बिना किसी कारण के होती है। गुरु का प्यार और सेवा से सभी को समान रूप से लाभ मिलता है, और यह अहंकार को दूर करने में मदद करता है।