साधु रामनाथ और विधवा माया की प्रेम कहानी आत्मशांति और स्वीकृति की यात्रा है। माया, जो अपने दर्द से जूझ रही थी, साधु के मार्गदर्शन से आत्मनिर्भर बनती है। समाज की अपेक्षाओं के खिलाफ जाकर, वह अपने दिल की सुनती है और एक नए जीवन की शुरुआत करती है, जो सच्चे प्रेम और समझ पर आधारित है।